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Wednesday, 12 July 2017

INDIAN ARMY TYPING MATTER

नींद का मनुष्‍य के जीवन में महत्‍वपूर्ण स्‍थान है-मनुष्‍य अपने जीवन का एक-तिहाई भाग सोते हुए गुजारता है। नींद में परिवर्तन होने का प्रभाव मनुष्‍य की कार्यक्षमता तथा उसके स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ता है। आज के आधुनिक युग में काम, क्रोध, लोभ, मोह, असंतोष आदि मानसिक विकारों के कारण मनुष्‍य इतना अशान्‍त बन चुका है कि उसको स्‍वाभाविक नींद के लिए भी तरसना पड़ना है। आज अनिद्रा का रोग सारे विश्‍व में महारोग की भॉंति फैलता जा रहा है। आज कि दौर में नींद न आना एक आम शिकायत हो गई है-डॉंक्‍टरों के पास नियमित ऐसे रोगी ओते हैं, जिनकी खास शिकायत नींद न आने की होती है। नींद एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा शरीर आराम पाता है। गहरी नींद से व्‍यक्ति अपने आपको तनाव रहित पाता है, क्‍योंकि उससे दिमाग और शरीर को पूर्ण रूप से आराम मिल जाता है- जब हम प्रात: सोकर उठते हैं तो हमारा दिमाग हल्‍का-फुल्‍का एवं शरीर तरोताजा रहता है। यदि हम रात्रि में ठीक तरह से नींद नहीं ले पाते हैं, हमें प्रात: काल से ही सुस्‍ती रहती है-हाथ पैर तथा सिर-दर्द करता है, ऑंखें भारी-भारी रहती हैं एंव किसी भी कार्य में मन नहीं लगता है अर्थात् रात्रि के साथ-साथ अगाल दिन भी बेकार हो जाता है। अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए गहरी नींद का आना अत्‍यन्‍त आवश्‍यक है। यदि कई दिनों तक नींद नहीं आती है तो मनुष्‍य पागल हो जाता है, जितनी खुराक हमें नींद से मिलती है उतनी अन्‍य किसी वस्‍तु से नहीं। डॉ. जार्ज स्‍टीवेन्‍सन जोकि दिमागी स्‍वास्‍थ्‍य के विशेषज्ञ हैं, कहते हैं कि आज कि बहुत ज्‍यादा व्‍यस्‍त और उलझन भरे जीवन के लिए जरुरी है कि नींद की आवश्‍यकता और उसके महत्‍व का ध्‍यान रखा जाए। दिमागी संतुलन और स्‍वास्‍थ्‍य बनाए रखने के लिए कम-से-कम 6 घण्‍टे नींद आवश्‍यक है। अलग-अलग व्‍यक्तियों के लिए नींद की आवश्‍यकता अलग-अलग होती है, जैसे-एक माह के बच्‍चे को 21 घण्‍टे,6 माह के बच्‍चे को 18 घण्‍टे, 12 माह के बच्‍चे को 12 घण्‍टे, 12 वर्ष से उपर वाले बच्‍चे को 10 घण्‍टे, 16 वर्ष से उपर वाले को 8 घण्‍टे तथा 30 वर्ष से उपर वाले को 6-7 घण्‍टे सोना चाहिए तथा उससे अधिक उम्र वाले को 5-6 घण्‍टे सोना चाहिए। शारीरिक व मानसिक श्रम करने वाले को अधिक नींद आती है। अनिद्रा के अतिरिक्‍त अधिक देर तक सोया रहना भी आलस्‍य की निशानी है तथा स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अहितकर है। इंगलैण्‍ड के मनोवैज्ञानिक डॉक्‍टर जोम्‍ज के अनुसार अधिक सोने से रक्‍त प्रवाह प्रभावित होता है अर्थात् धीमा पड़ जाता है। परिणामस्‍वरुप हृदय के रोग उत्‍पन्‍न हो सकते हैं, फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। अच्‍छी नींद प्राप्‍त करने के लिए दवाओं का सहारा लेना अच्‍छी बात नहीं है-नींद की गोलियॉं खाने से स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। नींद की गोलियों के सेवन के विषय में एक प्रतिद्ध डॉक्‍टर का कहना है कि आपको पॉंच घण्‍टे की नींद आती है आप उसे सात घण्‍टे करने के लिए नींद की गोली का प्रतिदिन सेवन करते हैं, तो कुछ दिन तो आपकी नींद सात घण्‍टे की हो जाएगी, किन्‍तु कुछ समय बाद आपको पॉंच घण्‍टे की नींद के लिए भी परेशानी होगी। वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि पूर्व दिशा में सिर रखकर सोने से शान्‍त और सुखमय नींद आती है। बटन दबाने और मतदान इकाई के लैम्‍प जलने की सूचना नियंत्रण इकाई में दिस अलार्म द्वारा चूनाव अधिकारी को मिल जाती है, परन्‍तु इससे यह आभास नहीं होता है कि मत किसके पक्ष में पड़ा है। किसी मतदाता द्वारा दो बटन एक साथ दबाने से कोई मत रिकॉर्ड नहीं होता है। इस प्रकार एक बार में एक ही मत रिकॉर्ड होता है। मतदान की समाप्ति पर मशीन सीलबन्‍द कर गणना केन्‍द्रों पर भेज दी जाती है। गणना केन्‍द्रों में मात्र बटन दबाने से अलग-अलग उम्‍मीदवारों के पक्ष में पड़े मत और कुल पड़े मतों की संख्‍या ज्ञात की जा सकती है। अब वोटिंग मशीन द्वारा चुनावों में बेईमानी और घपलेबाजी का उद्गम हो गया है। प्रोग्रामर अथवा कोई भी जानकार व्‍यक्ति अवांछित कार्यक्रम प्रोग्राम वोटिंग मशीन में फीड कर सकता है। इसमें चोरी से इस प्रकार के निर्देश भरे जा सकते हैं कि सभी वोट एक ही उम्‍मीदवार को अथवा केवल एक विशिष्‍ट राजनीतिक दल के उम्‍मीदवारों को मिले आदि। यह प्रोग्राम फीड करने वाले की योग्‍यता पर निर्भर करती है, चुनाव कर्मियों की मिली-भगत से यह कार्य किया जा सकता है।

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