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Wednesday, 12 July 2017

ASSAM RAIFALES EXAM MATTER

कैलेण्‍डर का आरम्‍भ करने का श्रेय भारत को जाता है, क्‍योंकि भारत में सर्वप्रथम 5000 ईसा पूर्व कैलेण्‍डर का उल्‍लेख मिलता है। बेबीलॉन के कैलेण्‍डर का उल्‍लेख 4700 ईसा पूर्व में मिलता है, तथा बेबीलॉन-वासियों ने ही सर्वप्रथम अंधविश्‍वास को छोड़कर खगोलविज्ञान के आधार पर महीने बनाए। कैलेण्‍डर का अर्थ है-दिनों का विभाजन। यह शब्‍द यूनानी कैलेण्‍ड है जिसका अर्थ है रोमन माह का प्रथम दिन है, र जोड़कर बनाया गया है। रोम में माह के प्रथम दिन ही उस माह की सभी महत्‍वपूर्ण तिथियों की घोषणा होती थी। वास्‍तव में कैलेण्‍डर किसी देश की देन नहीं है। इसमें समय-समय पर विभिन्‍न देशों ने अपना-अपना योगदान दिया है। सर्वप्रथम मिस्र ने कैलेण्‍डर की रचना की। विश्‍वास किया जाता है कि इस कैलेण्‍डर में 12 मास होते थे। सभी मासों में दिनों की संख्‍या तीस होती थी। प्रत्‍येक माह दस-दस दिनों के सप्‍ताहों में विभक्‍त था। हजारों वर्ष पूर्व सम्‍भवत: मिस्र के लोग दशमलव प्रणाली का महत्‍व समझ गए थे। दिनों को संख्‍या के आधार पर जाना जाता था। वर्ष के अन्‍त में जिस दिन, दिन तथा रात बराबर होती थे, पॉंच दिन जोड़ दिए जाते थे, परन्‍तु इनकी गणना वर्ष में नहीं की जाती थी। मिस्र की भॉंति यूनान तथा चीन ने भी अपने-अपने कैलेण्‍डर बनाए थे, परन्‍तु विश्‍व में सर्वाधिक प्रचलित कैलेण्‍डर की रचना का श्रेय रोम के शासक जूलियस सीजर को है। उन्‍होंने मिस्री खगोलशास्‍त्री सोसीजेन्‍स के कैलेण्‍डर प्रदान किया। उन्‍होंने मिस्री कैलेण्‍डर के दिनों को आज के विषम संख्‍या वाले महीनों में बॉंट दिया। क्विंतलस माह का नाम स्‍वंय के नाम को आधार मानकर, बदलकर जुलाई कर दिया। सामान्‍य वर्ष में फरवरी में 29 दिन तथा अधिवर्ष में फरवरी 30 दिन रखे। नववर्ष का आरम्‍भ एक मार्च से न मानकर एक जनवरी से मानने का निश्‍चय किया। यह संशोधन 46 ईसा पूर्व में किया गया। जूलियस सीजर ने सौर वर्ष 365.25 दिनों का माना था। अत: उन्‍होंने प्रत्‍येक चौथे वर्ष को अधिवर्ष मानने का निश्‍चय किया था। जूलियस सीजर सन् 321 ई. में रेामन सम्राट कॉन्‍स्‍टेटाइन ने किया। उन्‍होंने राजाज्ञा द्वारा सप्‍ताह सात दिनों का कर दिया। जूलियन कैलेण्‍डर में मुख्‍य रूप से दो बार संशोधन किए गए। पहला संशोधन ईसा से आठ वर्ष पूर्व सम्राठ अगस्‍त सीजर द्वारा किया गया। वे आठवें महीने का नाम बदलकर अपने नाम के आधार पर अगस्‍त रखना चाहते थे अत: उन्‍होंने रोमन सीनेट के अध्‍यादेश द्वारा सेक्‍सतिलस का नाम बदलकर अगस्‍त रख दिया। जूलियस सीजर के जुलाई माह में 31 दिन होने के कारण सेक्‍सतिलस माह में 30 दिन होने पर भी अगस्‍त माह में 31 दिन माने गए। यह एकदिन फरवरी माह से लिया गया। तब से सामान्‍य वर्ष में फरवरी में 28 दिन तथा अधिवर्ष में 29 दिन होने लगे। वोटिंग मशीन विशुद्ध रूप से कम्‍प्‍यूटर विज्ञान के सिद्धान्‍त पर आधारित, कम्‍प्‍यूटर जैसी एक मशीन है। इस मशीन के उपयोग के पक्ष में तरह-तरह की दलीलें दी जाती हैं। मुख्‍य दलीलें हैं-इस मशीन के उपयोग से सरकारी काम-काज में आसानी हो जाती है, सुदूरवर्ती गॉंवों के मतदाता भी बिना किसी बाहरी दबाव के अपनी इच्‍छा से स्‍वतंत्रतापूर्वक अपने मताधिकारी का प्रयोग कर सकते हैं, यह मशीन बहुत बड़ी संख्‍या में मत-पत्रों के छापने और उन्‍को सुरक्षित रखने की समस्‍या का हल है, इस मशीन के प्रयोग से अस्‍पष्‍ट मत-चिह्न अथवा एक से अधिक उम्‍मीदवारों के नाम के के आगे चिह्न अंकित नहीं हो सकते, इससे कागज और स्‍याही की बचत होगी, मतदाता की अँगुली पर लगाई जाने वाली स्‍याही सम्‍बन्‍धी गड़बड़ी नहीं होगी, जाली मतपत्रों का प्रयोग असम्‍भव होगा, चूनाव प्रक्रिया सरल हो जाएगी, मतदान केन्‍द्रों पर होने वाली हेराफेरी रोकी जा सकती है, मतदान केन्‍द्रों तथा तमपेटियों पर होने वाले कब्‍जे से मुक्ति मिल जाएगी। वोटिंग मशीन की नियंत्रण इकाई चुनाव अधिकारी के पास होती है। मतदान इकाई को चुनाव कक्ष के अन्‍दर रखा जाता है। स्‍मृति भण्‍डार मेमोरी इसी मतदान इकाई में होता है, जिसमें प्रोग्रामर उम्‍मीदवारों से सम्‍बन्धित विवरण भर देता है। मशीन पर उम्‍मीदवार ओर चुनाव चिह्न के सामने एक पुश-बटन लगा होता है। बटन को दबाते ही मशीन का लैम्‍प प्रकाश देने लगता है, जो मत पड़ने का सूचक है। मशीन को अपनी पूर्व स्थिति में लाने तक यह बटन पुन: नहीं दब सकता। इस तरह इसका कोई दुरुपयोगा नहीं कर सकता। मतदान इकाई को पूर्व स्थिति में लाने का काम नियंत्रण कक्ष में बैठा चुनाव अधिकारी, नियंत्रण इकाई के पेनल दबाकर करता है।

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