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Wednesday, 12 July 2017

BSF CISF TYPING PRACTICE PARAGRAPH 6 IN HINDI

आप के राज्‍य के बहुत से प्रश्‍न है और उसका कारण यह है कि यहां विभिन्‍न प्रकार के लोग बसते है। बहुत से आदिम जाति के लोग हैं जो बहुत तो पहाडों में हैं और कुछ मैदानों में आ गये हैं। दूसरे जो उपने को असमिया कहते हैं वे लोग भी है। उनके अतिरिक्‍त और भी कई प्रकार के लोग है जो इस देश से मोहित हो कर यहां बस गये है। यह एक सारे भारतवर्ष का नमूना है जहां विभिन्‍न प्रकार के लोग बसते हैं। भाषा तथा धर्म भी उनके भिन्‍न भिन्‍न है। यहां हिन्‍दू हैं, मुसलमान हैं और काफी संख्‍या में ईसाई भी हैं। आदिम जाति के लोग भी है जिनके रहन सहन का ढंग अपना अलग है। इस प्रकार जब सब राज्‍यों में विभिन्‍न प्रकार के लोग निवास करते हैं , तो इसका शासन भी वैसा ही होना चाहिये जिसमें सबको सन्‍तोष हो और सब सुखी रहे। संविधान में इस बात का प्रत्‍यन किया गया है और हम चाहते हैं कि यहां के सभी भाई, बहन, चाहे वे हिन्‍दू हों, मुसलमान हों, ईसाई हों या और किसी धर्म के मानने वाले हों चाहे वह आदिम जाति के हो, पहाडों पर रहने वाले हों, या मैदान में रहने वाले हों सभी यह समझें कि वे असम के निवासी हैं और यह राज्‍य सारे भारतवर्ष का एक भाग है। जैसे मनुष्‍य के शरीर के विभिन्‍न अंग होते है, उसी प्रकार भारत के विभिन्‍न अंग हैं। यह कोई नहीं कह सकता कि उसमें से कौन बडा है, और कौन छोटा क्‍योंकि सब एक तरह से बराबर है। किसी अंग को सारे शरीर से अलग करना केवल उस अंग के लिए ही नहीं बल्‍की सारे शरीर के लिए कष्‍टकर होता है। हम चाहते हैं कि असम के सभी लोग यह समझे कि सारे देश में उनका स्‍थान है। आप लोग बहुत कष्‍ट उठाकर कडी धूप में बैठे हुए मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं। मेरे आने में शायद कुछ देर हुई, इसके लिए मैं आप से क्षमा चाहता हूँ। जिस उत्‍साह के साथ आपने मेरा स्‍वागत किया उसके लिए मैं किन शब्‍दों में धन्‍यवाद दूं। धन्‍यवाद देने की कोई बात भी नहीं है क्‍योंकि मेरा स्‍वागत किसी व्‍य‍क्ति का स्‍वागत नहीं बल्कि सारे देश का स्‍वागत है। इस समय जिस पद पर मैं देश के लोगों की ओर से बैठा दिया गया हूँ, उस पद का स्‍वागत और सम्‍मान देश का स्‍वागत होता है। इस पद पर आप में से हरेक को उतना ही अधिकार है जितना कि मेरा । इसलिए मैं यह कहूं कि आप लोगों ने जो स्‍वागत किया उसके लिए मुझे आपको धन्‍यवाद नहीं देना है तो उसको आप इसी अर्थ में लीजियेगा, किसी दूसरे अर्थ में नहीं । देश बहुत दिनों के बाद स्‍वतंत्र हुआ है और स्‍वतंत्र होकर उसने अपने भाग्‍य को बनाने या बिगाडने का भार स्‍वयं संभाल लिया है। आप के चुने हुये बहुतेरे प्रतिनिधि विधान मंडलों या संसद में काम कर रहे है। उनमें से कुछ तो मंत्री हैं और दूसरे अन्‍य किसी न किसी काम में लगे हैं पर सबका कर्तव्‍य एक ही है। वह है देश को उन्‍नत करना उसमें रहने वालों को समृद्ध बनाना, इस देश का गरीबी दूर करना, बीमारी दूर करना, शिक्षा का अभाव दूर करना, और जो चीजे इन सब कमियों को दूर कर सकती है उनको इस देस के लिए प्राप्‍त करना। मैं कल से आप के इस क्षेत्र में घूम रहा हूं और जो कुछ मैंने देखा उससे केवल यही नहीं मालूम हुआ कि इंजीनियरों के कारण यहां एक बड़ी चीज बन जायेगी बल्कि उसमें यहां के लोगों की सुख-समृद्धि निहित पाता हूँ। सभानेत्री जी, विधायक इस समय सदन के सामने रखा गया है, मैं उसका हृदय से स्‍वागत करता हूं कि बहुत दिनों से हमारे देश में एक ऐसे विधेयक की आशा की जाती थी और हम प्रतीक्षा में थे कि कब यह विधेयक हमारे सामने आये। मैं माननीय मंत्री महोदय को धन्‍यवाद देता हूं कि उन्‍होंने इस प्रकार का एक विधेयक हमारे इस सदन में रखा। यह प्रवर समिति से ज्‍यादा अच्‍छे रूप में आया है, यह भी मैं मानने के लिए तैयार हूं। इसमें कुछ ऐसे परिवर्तन हुए हैं कि जिन परिवर्तनों से इस विधेयक में जो धाराएं रखी गयी हैं वे विशेषकर दिल्‍ली की स्थिति को देखते हुए बहुत ही उपयुक्‍त है और उनसे दिल्‍ली में प्राथमिक शिक्षा को अवश्‍य प्रोत्‍साहन मिलेगा। अभी यह विचार प्रकट किया गया है कि यह बिल सर्वांगीण नहीं है। इनमें सारी बातें नही हैं जो कि होनी चाहिये थी। मैं इसको स्‍वीकार करता हूं परन्‍तु यह भी देखना आवश्‍यक होगा कि इस विधेयक को बनाने में इस बात की चेष्‍टा की गई है कि यह आदर्श रूप से बने। परन्‍तु हमारे देश की आर्थिक स्थिति को देखकर और वातावरण को देखकर इसमें कुछ ऐसी धारएं रखी गयी हैं जो आदर्श नहीं कही जा सकती। 

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