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Wednesday, 12 July 2017

CRPF BSF PARAGRAPH

पाकिस्‍तान की न्‍यायपालिका और सरकार फिर आमने-सामने हैं। टकराव गहराता जा रहा है। मुख्‍य कारण है सरकार द्वारा सर्वोच्‍च न्‍यायालय के आदेशों का पालन न करना। सर्वोच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश इफ्तिखार मोहम्‍मद चौधरी ने सरकार को स्‍पष्‍ट कर दिया है कि न्‍यायपालिका के आदेशों का पालन करना होगा, वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें। किसी भी हालत में संविधान को कमजोर करने की कोशिश का सख्‍ती से विरोध किया जाएगा। कराची में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। प्रांतीय सरकार इस पर काबू पाने में असफल सिद्ध हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया है। अत: मुख्‍य न्‍यायाधीश के नेतृत्‍व में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने कराची का जायजा लेने के बाद जरूरी जांच शुरू कर दी है। इससे पूर्व लाहौर उच्‍च न्‍यायालय में उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेशों की लगातार अवहेलना करने और संविधान उलटने के लिए एक याचिका दायर हुई है,जिसमें प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अयोग्‍य ठहराने और उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज करने की अपील की गई है। यह टकराव उस समय से शुरू हुआ माना जा रहा है, जब चौधरी ने सरकार को दो वरिष्‍ठ पुलिस जांच अधिकारियों हुसैन असगर अहमद को संघीय जांच एजेन्‍सी में और सुहेल अहमद को संस्‍थापना सचिव के तौर पर फिर नियुक्‍त किए जाने के लिए 24 घंटे का अल्‍टीमेटम दिया, जिसका बाद में समय बढ़ा दिया गया ताकि अरबों रुपये के हज घोटाले की जांच पूरी की जा सके। चौधरी का कहना है कि इसमें शक नहीं कि अफसरान के तबादले व तैनाती का अधिकार प्रधानमंत्री के पास है, लेकिन न्‍यायपालिका जायजा लेने का इख्तियार रखती है। हज घोटाले में प्रधानमंत्री गिलानी का बड़ा बेटा अब्‍दुल कादिर गिलानी भी लिप्‍त है। ऐसे ही पूर्व डायरेक्‍टर जनरल एफ आई ए जफर कुरैशी भी निशाना बने। उन्‍हें जांच के दौरान निलम्बित कर दिया गया। कुरैशी देश के सबसे बड़े नेशनल इनश्‍योरेन्‍स कम्‍पनी लि० स्‍कैंडल की जांच कर रहे थे। इस घोटाले में पूर्व मुख्‍यमंत्री पंजाब परवेज इलाही और उनके बेटे मूनस इलाही फंसे हैं। परवेज इलाही और उनके बड़े भाई चौधरी शुजात हुसैन का सम्‍बन्‍ध मुस्लिम लीग क्‍यू से है, जो इन दिनों सरकार में शामिल है। सर्वोच्‍च न्‍यायालय के आदेशों के बावजूद कुरैशी को बहाल नहीं किया गया, जबकि उन्‍हें 30 सितंबर को सेवा निवृत्‍त होना है। ऐसे ही सर्वोच्‍च्‍ा न्‍यायालय के हुक्‍म के अनुसार नेशनल एकाउन्‍टेबिलिटी ब्‍यूरो का अध्‍यक्ष पद नहीं भरा गया और मेगा करप्‍शन स्‍कैंडल या एन आर ओ के मामलों में सर्वोच्‍च न्‍यायालय के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। जनरल मुशर्रफ ने 5 अक्‍टूबर 2007 को मेल-मिलाप अध्‍यादेश यानी नेशनल रिकन्‍साइलेशन आर्डिनेन्‍स जारी किया था। इस अध्‍यादेश के तहत सैकड़ों प्रभावशाली लोगों को, जिनके खिलाफ आपराधिक, भ्रष्‍टाचार व राजनीतिक मुकदमे चल रहे थे, जिनमें राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी व गृहमंत्री रहामान मलिक का नाम भी शामिल था, आम माफी दे दी गई। लेकिन चौधरी ने अपनी बहाली के बाद यह अध्‍यादेश खारिज कर दिया और अपराधियों के खिलाफ बंद मुकदमे फिर खोलने का हुक्‍म दिया। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने इस फैसले से संदेश दिया कि भ्रष्‍टाचार के मामलों में लिप्‍त हैं। तहरीके इन्‍साफ पार्टी के मुखिया इमरान खान कहते हैं कि ऐसे भ्रष्‍ट तत्‍व अपनी चोरी छिपाने के लिए सर्वोच्‍च न्‍यायालय के उन आदेशों को अमल में लाने से गुरेज कर रहे हैं, जिनके कारण वे कानून की गिरफ्त में आ सकते हैं। मुख्‍य न्‍यायाधीश चौधरी को लोग गरीबों का न्‍यायाधीश मानते हैं। जब मुशर्रफ ने उन्‍हें बर्खास्‍त करने के साथ उनसे दुर्व्‍यवहार किया तो मामला जनविरोध में बदल गया था। अन्‍तत: जरदारी को जनदबाव में उन्‍हें बहाल करना पड़ा। दूसरी ओर गठबंधन सरकार को राजनीतिक मामलों में सर्वोच्‍च न्‍यायालय का दखल रास नहीं आ रहा है। उसने साफ कहा है कि संसद सर्वोच्‍च है। डॉन समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है कि सरकार का कहना है न्‍यायपालिका के ऐसे फैसले राष्‍ट्रीय राजनीति में मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। जबकि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी मुस्लिम लीग के अध्‍यक्ष नवाज शरीफ कह रहे हैं कि सरकार को अदालती फैसलों पर अमल करना होगा। देश का भविष्‍य कानून की हुक्‍मरानी से जुड़ा हुआ है, जब देश की आर्थिक व्‍यवस्‍था चरमराई हुई है। कमर तोड़ महंगाई ओर दहशत गर्दी के खिलाफ जंग को लेकर देश चारों ओर से घिरा है। 16 वर्षो के अच्‍छे संबंधों में पहली बार अमेरिका ने पाक फौज खासकर आई एस आई पर दोहरा रोल अदा करने का आरोप लगाया है।

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